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Showing posts from December, 2017

दिशाशूल और उसके परिहार

                                                                                   ॐ नमस्कार मित्रों, इस लेख में हम दिशाशूल और उसके परिहार के विषय में परिचय प्राप्त करेंगे | दिशाशूल वह दिशा है जिस तरफ यात्रा नहीं करनी चाहिये । हम सबने पढ़ा है कि दिशाएं 4 होती हैं | १) पूर्व , २) पश्चिम , ३) उत्तर , ४) दक्षिण परन्तु जब हम उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं तो ज्ञात होता है कि वास्तव में दिशाएँ दस होती हैं | १) पूर्व २) पश्चिम ३) उत्तर ४) दक्षिण ५) उत्तर - पूर्व ६) उत्तर - पश्चिम ७) दक्षिण – पूर्व ८) दक्षिण – पश्चिम ९) आकाश १०) पाताल हमारे सनातन धर्म के ग्रंथो में सदैव १० दिशाओं का ही वर्णन किया गया है । दिशाशूल वह दिशा है जिस तरफ यात्रा नहीं करनी चाहिए | हर दिन किसी एक दिशा की ओर दिशाशूल होता है | १) सोमवार और शुक्रवार को पूर्व २) रविवार और शुक्रवार को पश्चिम ३) मंगलवार और बुधवार को...

भारतीय ज्योतिष में नक्षत्रों का प्रभाव

                                                                                      ॐ नमस्कार मित्रों, इस लेख में हम नक्षत्रों के विषय में परिचय प्राप्त करेंगे |  जातक पर नक्षत्र का बहुत प्रभाव पड़ता है | अतः नक्षत्रानुसार जातक पर पड़ने वाला प्रभाव आगे दिया गया है | अश्विनी –  विचारशील, अध्ययन, अध्यापन करने वाला, ज्योतिष, वैद्यक आदि शास्त्रों में रूचि रखने वाला, लेखक, ईमानदार, चंचल प्रकृति, मस्से का रोगी और गृह – कलह प्रिय | भरणी –  बलवान, शत्रुओं पर अचानक आक्रमण करने वाला, चालाक, धार्मिक कार्यो में रूचि रखने वाला, चित्रकार, धोखेबाज, निम्न स्तर के कार्य करने वाला तथा उन्नति का आकांक्षी | कृत्तिका –  विध्याभिलाषी, पशु प्रेमी, अस्वस्थ्य, भोगी, साधक, साधू संतों में आस्था रखने वाला, कलहप्रिय, निर्धन से धनवान होने वाला, लड़ाई-झगड़ों में रूचि रखने वाला...

भारतीय ज्योतिष में जन्म-कुण्डली का परिचय (भाव-कारकत्व सहित )

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                                                                                  ॐ नमस्कार मित्रों, इस लेख में हम भारतीय ज्योतिष में जन्म-कुण्डली का परिचय (भाव-कारकत्व सहित ) प्राप्त करने का प्रयास करेंगे | प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में बांटा गया है | एक नक्षत्र13 0 20 |  का होता है अतः नक्षत्र के एक चरण की दूरी 13 0 20 | /4 = 3 0 20 |  होती है | सवा दो नक्षत्र अर्थात ९ चरण (30 0  ) की एक राशि होती है | चंद्रमा सवा दो दिन में एक राशि पार कर लेता है अर्थात 30 0  आगे बढ़ जाता है यानी सवा दो दिन तक चंद्रमा एक ही राशि में रहता है | 27 दिन में सभी १२ राशियाँ और नक्षत्र पार कर लेता है | इन चरणों के लिए कुछ अक्षर निश्चित किये गए हैं, जिसके हिसाब से किसी जातक का नामकरण किया जाता है | क्रमांक नक्षत्र नक्षत्र चरण चरणाक्षर राशि 1 अश्विनी 1,2,3...

भारतीय ज्योतिष में जन्म कुंडली बनाने के साधन

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                                                                  ॐ                                                            नमस्कार मित्रों, इस लेख में हम भारतीय ज्योतिष में जन्म-कुण्डली बनाने के साधनों का परिचय प्राप्त करने का प्रयास करेंगे | जन्म कुंडली निम्नलिखित ३ साधनों से बनाई जा सकती है | 1. विभिन्न प्रकाशकों की Table of Ascendant के द्वारा जन्म के समय पृथ्वी की राशि (डिग्री) की गणना की जाती है | लग्न तालिका में इसे प्रथम भाव में लिखा जाता है तथा Table of Ephemeris के द्वारा अन्य ग्रहों की स्थिति की गणना की जाती है | Table of Ascendent में जन्म स्थान के अक्षांश देशांतर के अनुसार गणना में शुद्धि लाइ जाती है | अतः इस विधि से जन्म कुंडली शुद्ध रूप से बन जाती है | ...